चंपारण: मुस्लिमों द्वारा दलित स्त्रियों के साथ दुराचार, दलितों की हत्याएं

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मुस्लिमों द्वारा दलित परिवार के लोगों की हत्याएं, दलितों में दहशत - SC/ST Act. Fail ?

क्या मुस्लिमों को नहीं है इस Act का कोई डर ? बिहार के चंपारण में इस समय दलितों की बस्तियों में दहशत के कारण बुरा हाल है और सूत्रों के अनुसार दलित परिवार गाँव से पलायन करने को मजबूर हैं।

आज दलितों के वो मसीह कहाँ गए? कहाँ गए राजनीति करने वाले दलित नेता? आज जब बिहार के चंपारण के बगहा क्षेत्र के दलितों पर मुसलमान लगातार अत्याचार कर रहे हैं, तो क्यों दलितों के सभी मसीहाओं के मुंह पर ताला और आँखों पर पट्टी चड़ी है?

आज अगर हम हिन्दू दलित-सवर्ण में नहीं बटे रहते हैं तो ऐसी समस्याएं नहीं होती।

क्यों आसिफा और अखलाक के लिए पूरे "मेन-स्ट्रीम मीडिया" के पेट में खलबली मच जाती है? आज जब बात बिहार के दलित भाइयों की आई तो सारे मीडिया को सांप सूंघ गया। अखलाक के समय तो "मेन-स्ट्रीम मीडिया" तो क्या "सोशल मीडिया" और तो और बॉलीवुड में बैठी अभिनेत्रियों तक को अपने विचार रखने की आज़ादी चाहिए होती है।

परंतु आज जब वहीं मुसलमान इतने उग्र होकर बेरहमी से निर्दोष दलितों की जान ले रहे है तो सब अंखे मूँदे बैठे है। खैर इससे ज़्यादा कुछ तो नहीं पर दलितों के तथाकथित राजनेताओं और सिलेब्स के दोहरे चेहरे ज़रूर दिखते है।

स्थिति इतनी बदतर है कि एक माँ के पास अपने बेटे का क्रिया कर्म करने के भी पैसा नहीं है। बेटे की शादी सिर्फ और सिर्फ एक महीना पहले हुई थी जिन्हें मुसलमानों ने मार दिया। और आज से कुछ सालों पहले इनके परिवार में मुस्लिम लोगों ने चार लोगों की हत्या कर दी थी। क्योंकि इस दलित परिवार के घर की इज्जत को मुस्लिम लोग जबरदस्ती उठाकर लेकर जा रहे थे तो उन्होंने विरोध किया था इसलिए इन लोगों की हत्या हुई है। उनके गांव के जितने भी दलित भाई हैं सारे डरे हुए हैं मुसलमानों के आतंक से। आज हमें इनकी मदद करने की जरूरत है। परंतु मेन-स्ट्रीम मीडिया के लिए सारी कीमत मात्र अखलाक की जान और आसिफा की इज्ज़त की ही थी।

उन सभी दलितों को हिदायत, अपनी आँखों से पर्दा हटाओ और देखो अपने नेताओं का असली रूप। जानो कि आखिर "भीम सेना" इस दलित बहन के बलात्कार और हत्या पर चुप क्यों है ? बकरीद के अवसर पर दलित बहन के साथ हुआ है बलात्कार क्यों चुप है सारे दलित नेता।

आज बकरीद के मौके पर सुलगने से बच गया सासाराम। लोधी के कामेश्वर पासवान की बेटी कल सासाराम से पढ़ के अपने गावँ पर लौट रही थी। रास्ते मे कुछ युवकों ने बलात्कार करने के बाद हत्या कर शव को फेंक दिया गया। देर शाम शव बरामद हुआ और पोस्टमार्टम के बाद शव के साथ आज परिजनों ने सुबह सुबह पोस्ट ऑफिस चौराहा जाम कर दिया। लेकिन प्रशासनिक सूझ बूझ का परिचय देते हुए SDM और एक जदयू के पूर्व प्रत्याशी ने बहला फुसला कर महज दो घँटे के भीतर ही शव हटवा दिया तथा अपने सरकार की किरकिरी होने से बचा लिया। लेकिन सवाल अब भी है, बिहियां के बाद सासाराम शर्मसार हो ही गया। कब तक रुकेगा यह सिलसिला? कौन है इसका जिम्मेदार?

मेराज आलम जो उसी गांव में कुछ दिन पहले 5 साल की मासूम हिन्दू बच्ची के साथ बलात्कार किया था। अभी तक उसे सजा नहीं हुई है। अब जरा सोचिए ऐसी स्थिति में अपराधियों के हौसले बढ़ेंगे या घटेंगे।



मीडिया की ज़िम्मेदारी पूर्ण रूप से निष्पक्ष हो कर कार्य करना है, परंतु अफसोस यह है कि आज लगभग पूरा मेन-स्ट्रीम मीडिया केवल अपनी सुविधा अनुसार मुद्दे उठा कर उन्हे उछलता है।

बगहा के मुसलमानों के द्वारा दलित भाइयों के ऊपर हुए अत्याचार के संबंध में आज सख्त ज़रूरत है कि सभी हिन्दू भाई एक जुट हो।

कल भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और सांसद श्री संजय जयसवाल जी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती रेणु देवी जी ने मुद्दे का जायज़ा लिया और कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए दलित भाइयों को मैं न्याय दिला के रहूंगा। स्थानीय भाजपा सांसद श्री सतीश दुबे जी से भी फोन पर स्थिति की जानकारी प्राप्त की और कहा है कि कुछ भी हो जाए दोषियों को सजा जरूर होगी और दलित भाइयों को इंसाफ मिलेगा।

हमारे पाठक नीचे दी गयी जानकारी की मदद से मुसलमानों के द्वारा सताए हुए हिंदू दलित भाई की मदद भी कर सकते है।





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