भय की खेती के सहारे एक मज़हब
लेकिन आज ये टीवी और अखबार वाले खुद को सेंसर इसलिए नहीं करते हैं कि वे संवेदनशील हैं जैसा कि वे दर्शाते हैं, बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि, वे मुस्लिमों के हिंसा से डरते हैं और उनका तो दुःख ये है कि वे अपना ये डर बताने से भी डरते हैं ताकि, मुस्लिम इसका बुरा न मान जाएँ।

- धर्म या राजनीति?
- AIMIM का लेखक तस्लिमा नसरीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
- धर्म या दादागिरी?
लेकिन आज ये टीवी और अखबार वाले खुद को सेंसर इसलिए नहीं करते हैं कि वे संवेदनशील हैं जैसा कि वे दर्शाते हैं, बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि, वे मुस्लिमों के हिंसा से डरते हैं और उनका तो दुःख ये है कि वे अपना ये डर बताने से भी डरते हैं ताकि, मुस्लिम इसका बुरा न मान जाएँ।
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