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कुम्भ और होली पर बने विज्ञापनों से लोगों में आक्रोश : अपनी पब्लिसिटी के लिए भावनाओं से खेलती हैं कंपनियां
वामपंथी विचारधारा और उपनिवेशवादी मानसिकता के लोग हमेशा अपने प्रचार/विज्ञापन के जरिए हिन्दुओं को क्यों अपमानित करते रहते हैं? जब आप चाय का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं हिन्दू इतने कट्टर हैं की अपने पड़ोसी के घर चाय पीने को तैयार नहीं क्योंकि वो मुस्लिम हैं। जब सर्फ का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं मुस्लिम कितने निरीह हैं बिना रंगे पुते मस्जिद नहीं जा पा रहे हैं। और आपको ऐसा लगता है कि ऐसे विमर्श चलाकर आप समाज में सद्भावना ला रहे हैं।


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वामपंथी विचारधारा और उपनिवेशवादी मानसिकता के लोग हमेशा अपने प्रचार/विज्ञापन के जरिए हिन्दुओं को क्यों अपमानित करते रहते हैं? जब आप चाय का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं हिन्दू इतने कट्टर हैं की अपने पड़ोसी के घर चाय पीने को तैयार नहीं क्योंकि वो मुस्लिम हैं। जब सर्फ का विज्ञापन बनाएं तो दिखाएं मुस्लिम कितने निरीह हैं बिना रंगे पुते मस्जिद नहीं जा पा रहे हैं। और आपको ऐसा लगता है कि ऐसे विमर्श चलाकर आप समाज में सद्भावना ला रहे हैं।
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