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2019 - लोकतन्त्र में "वोटतंत्र के तुष्टीकरण" की राजनीति ही जीतेगी ?
कर्नाटक में घटित घटनाक्रम के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी को अब यह मान लेना चाहिए कि 2019 में वह एक तरफ़ अकेली होगी, तो दूसरी तरफ़ देश की तमाम पार्टियां उसके विरुद्ध एक गठबंधन में लामबंद होंगी, हो सकता है कि कुछ चुनाव से पहले हों और कुछ बाद में। और ये भी अटल सत्य है कि एक विभाजित जनमत भारतीय जनता पार्टी को 50 प्रतिशत वोट देने से रहा।

- कांग्रेस द्वारा अपने अस्तित्व को बचाने के लिए देश में एक-दूसरे की विरोधी सभी विपक्षी पार्टियों को साथ लाने की कवायद बहुत कुछ कहती है
- कर्नाटक का ये सियासी ड्रामा अभी से 2019 के लिए कुछ संदेश देता हुआ लगता है ?
- कांग्रेस द्वारा अपने अस्तित्व को बचाने के लिए देश में एक-दूसरे की विरोधी सभी विपक्षी पार्टियों को साथ लाने की कवायद बहुत कुछ कहती है
कर्नाटक में घटित घटनाक्रम के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी को अब यह मान लेना चाहिए कि 2019 में वह एक तरफ़ अकेली होगी, तो दूसरी तरफ़ देश की तमाम पार्टियां उसके विरुद्ध एक गठबंधन में लामबंद होंगी, हो सकता है कि कुछ चुनाव से पहले हों और कुछ बाद में। और ये भी अटल सत्य है कि एक विभाजित जनमत भारतीय जनता पार्टी को 50 प्रतिशत वोट देने से रहा।
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Tags: #assembly election 2019#भारतीय जनता पार्टी#वोटतंत्र तुष्टीकरण#कर्नाटक चुनाव#राष्ट्रीय मोर्चा#वाम मोर्चा#राजेंद्र माथुर#धर्मनिरपेक्ष विचारधारा#दक्षिणपंथी