डॉ॰ मोहम्मद अल्तमश, कुमैल अकरम, जाजिब अली गिरफ्तार, कर रहे थे Remedesvir की कालाबाजारी

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डॉ॰ मोहम्मद अल्तमश, कुमैल अकरम, जाजिब अली गिरफ्तार, कर रहे थे Remedesvir की कालाबाजारी

डॉ॰ मोहम्मद अल्तमश, कुमैल अकरम, जाजिब अली गिरफ्तार, कर रहे थे Remedesvir की कालाबाजारी

गाजियाबाद पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में रेमडिसवायर इंजेक्शन की ब्लैक मार्केटिंग के आरोप में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम करने वाले एक डॉक्टर सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया।

सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार लोगों में से एक डॉ॰ मोहम्मद अल्तमश (42) निजामुद्दीन, दिल्ली का रहने वाला है जो पहले दिल्ली के AIIMS में काम कर चुका है और गाजियाबाद में एक क्लिनिक चलाता है एवं नियमित रूप से विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल छात्रों को व्याख्यान भी देता।

पुलिस ने उसके कब्जे से 70 रेमेडिसविर इंजेक्शन, दो एक्टेम्रा इंजेक्शन सहित 36 लाख रुपये नकद बरामद किए। इसके साथ ही पुलिस ने अपराध में प्रयोग की जा रही आरोपी डॉ॰ अल्तमश के स्वामित्व वाली एक लग्जरी कार सहित दो मोटरबाइक को भी जब्त कर लिया।

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क्राइम ब्रांच के प्रभारी संजय पांडे ने अपने बयान में कहा कि उन्हें तीन दिन पहले डॉक्टरों के एक गिरोह के बारे में सूचना मिली थी। एक पीड़ित ने उनसे संपर्क किया और कि कि उन्होंने इस गिरोह से 4 हजार रुपये में एक इंजेक्शन खरीदा था। पीड़ित से प्राप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने निगरानी शुरू की जिसके बाद पुलिस ने अल्तमश के एक सहयोगी को पकड़ लिया, उसकी पहचान कैला भाठा निवासी "कुमैल अकरम" के रूप में हुई। पूछताछ करने पर, पुलिस को ज्ञात हुआ कि दिल्ली के वाड़ा हिन्दूराव से जज़ीब के रूप में पहचाने जाने वाले एक व्यक्ति ने उन्हें दिल्ली में इंजेक्शन उपलब्ध कराया था। पुलिस ने तब जाजीब को गिरफ्तार किया, उसके बयान के आधार पर ही पुलिस ने डॉ॰ अल्तमश को गिरफ्तार किया।

जब पुलिस ने डॉ॰ एटलमश को रंगे हाथ पकड़ा, तो आरोपी डॉक्टर ने अपने हाई-प्रोफाइल संपर्कों से पुलिस को धमकी देने की कोशिश की। उसने पुलिस से कहा कि देश के सभी प्रमुख पार्टियों के नेताओं और केंद्र सरकार के कई मंत्रियों के साथ उसके घनिष्ठ संबंध हैं। हालांकि, जब पुलिस ने कुछ सख्ती दिखाई, तो सभी घबरा गए। उसने न केवल अपराध कबूल किया, बल्कि अपनी कार में जीवन रक्षक दवा की एक खेप के लिए पुलिस को निर्देशित किया। पुलिस ने ड्रग्स और उसके वाहन को जब्त कर लिया।

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सिटी के मुख्य पुलिस अधिकारी, संदीप कुमार सिंह ने अल्तमश ने स्वीकार किया कि वह AIIMS से अपने नाम इन दवाओं को लाता था और फिर काला बाजारी द्वारा जरूरतमंद मरीजों को बेचने के लिए इन दवाओं को अपने साथियों को दे देता था । उसके बाद आरोपी जजीब और कुमैल इन इंजेक्शनों को गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में बेचते थे। वह कहते हैं कि प्रत्येक इंजेक्शन को वे रु .40 हज़ार से रु॰ 50 हज़ार तक में बेचते थे।

पुलिस सूत्रों के अनुसार डॉक्टर ने ब्लैक मार्केट में रेमेडिसवीर बेचकर एक ही दिन में 3 लाख 10 हजार रुपये कमाए थे। इसी काला बाजारी की कमाई में से वह अपने अन्य साथियों को भी लगभग 50 लाख रुपये दे चुका था। उसने यह सारा पैसा "लाइफ सेविंग ड्रग्स" की ब्लैक मार्केटिंग द्वारा जुटाया था। पुलिस को संदेह है कि एम्स में अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी इस गिरोह का हिस्सा हो सकते हैं। आरोपियों से रैकेट में शामिल अन्य लोगों की पहचान करने के लिए पूछताछ की जा रही है।

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