Home > मुख्य समाचार > राष्ट्रीय > और मुशरिक (बहुदेववादी) स्त्रियों से विवाह न करों जब तक की वे ईमान न लाएँ- (सूराह : अल-बक़रा : 221)
और मुशरिक (बहुदेववादी) स्त्रियों से विवाह न करों जब तक की वे ईमान न लाएँ- (सूराह : अल-बक़रा : 221)
लेकिन यहां पर पेंच यह है कि अगर कोई हिंदू "इंटरफ़ेथ" विवाह भी करता है, तब भी "हिंदू मैरिज एक्ट" के तहत वह मान्य होगा। किंतु अगर कोई मुस्लिम धर्म से बाहर विवाह करता है तो "मुस्लिम पर्सनल लॉ" के हिसाब से यह निक़ाह अमान्य होगा। वैसी स्थिति में किसी मुस्लिम युवक के प्यार में डूबी हिंदू लड़की अगर उससे विवाह करना चाहती है और युवक अपना धर्म नहीं छोड़ना चाहता तो युवती के लिए अपना धर्म या नाम बदलना अनिवार्य हो जाएगा, और स्पेशल मैरिज एक्ट का कोई औचित्य ही नहीं रह जाएगा।


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लेकिन यहां पर पेंच यह है कि अगर कोई हिंदू "इंटरफ़ेथ" विवाह भी करता है, तब भी "हिंदू मैरिज एक्ट" के तहत वह मान्य होगा। किंतु अगर कोई मुस्लिम धर्म से बाहर विवाह करता है तो "मुस्लिम पर्सनल लॉ" के हिसाब से यह निक़ाह अमान्य होगा। वैसी स्थिति में किसी मुस्लिम युवक के प्यार में डूबी हिंदू लड़की अगर उससे विवाह करना चाहती है और युवक अपना धर्म नहीं छोड़ना चाहता तो युवती के लिए अपना धर्म या नाम बदलना अनिवार्य हो जाएगा, और स्पेशल मैरिज एक्ट का कोई औचित्य ही नहीं रह जाएगा।
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