"नदी के दो किनारे" और नक़ाब से झाँकती मजबूर आँखें
दोनों परिवार तैयार... ज़फर मियां ने बम जैसा फोड़ा... "देखिए जब हम लोग एक दूसरे को समझ चुके हैं... बेटा-बेटी भी तैयार हैं... बस आपको मेरी एक दरख्वास्त माननी पड़ेगी.... विवाह की जगह निकाह होगा... लड़की के दादाजान की बहुत इच्छा है".. उसने कहा "ठीक है... अरे आप निकाह कह रहे हैं.... हम शुभविवाह कह रहे हैं.... बात तो एक ही है"... ज़फर मियां ने बात साफ की..." आपके बेटे को इस्लाम कुबूल करना होगा... एक इस्लामिक नाम भी रखना होगा"...

- नक़ाब से झाँकती दो मजबूर आँखें
- अकेली-तन्हा मजबूर
दोनों परिवार तैयार... ज़फर मियां ने बम जैसा फोड़ा... "देखिए जब हम लोग एक दूसरे को समझ चुके हैं... बेटा-बेटी भी तैयार हैं... बस आपको मेरी एक दरख्वास्त माननी पड़ेगी.... विवाह की जगह निकाह होगा... लड़की के दादाजान की बहुत इच्छा है".. उसने कहा "ठीक है... अरे आप निकाह कह रहे हैं.... हम शुभविवाह कह रहे हैं.... बात तो एक ही है"... ज़फर मियां ने बात साफ की..." आपके बेटे को इस्लाम कुबूल करना होगा... एक इस्लामिक नाम भी रखना होगा"...
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