यूपी में गोहत्या पर बिल पास, अब 10 साल तक की कैद और 5 लाख तक का जुर्माना

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यूपी में गोहत्या पर बिल पास, अब 10 साल तक की कैद और 5 लाख तक का जुर्मानायूपी में गोहत्या पर बिल पास, अब 10 साल तक की कैद और 5 लाख तक का जुर्माना

योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने गौ-हत्या रोकथाम (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दे दी गई, जिसके आधार पर अब अधिकतम 10 साल का कठोर कारावास और 5 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। संशोधन का मुख्य उद्देश्य गाय/गौवंश की रक्षा करना और गोहत्या से संबंधित अपराधों को रोकना है।

सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि यह आवश्यक था कि गोहत्या अधिनियम को और अधिक मजबूत और प्रभावी बनाया जाए।

प्रमुख बिंदुओं पर विचार करते हुए, कैबिनेट ने गौ हत्या अधिनियम, 1955 में संशोधन करने का निर्णय लिया और मंगलवार की देर रात बैठक में मंजूरी दे दी। 6 जनवरी 1956 को "गोहत्या निरोधक अधिनियम-1955" उत्तर प्रदेश में लागू किया गया था। 2020 से पहले भी इस अधिनियम में 1958, 1961, 1979 और 2002 में संशोधन हो चुके हैं, एवं 1964 और 1979 में इसके कुछ नियमों में संशोधन किया गया था।

नए नियमों के अनुसार आरोपी व्यक्ति पर पहली बार अपराध के लिए, व्यक्ति को ₹ 1 लाख से लेकर 3 लाख तक के जुर्माने के साथ एक से सात साल की कठोर सजा दी जा सकती है। बयान में आगे कहा गया है कि दूसरी बार अपराध के लिए, व्यक्ति को 5 लाख तक के जुर्माने के साथ 10 साल के सश्रम कारावास की सजा दी जा सकती है।

नए अधिनियम के तहत गायों और अन्य गौवंशीय के अवैध परिवहन के मामले में, चालक, परिचालक के साथ ही वाहन के मालिक पर भी आरोप लगाया जाएगा, जब तक कि यह साबित नहीं किया जाता है कि मालिक की जानकारी के बिना ही अपराध करने के लिए किसी अन्य के द्वारा परिवहन किया गया था।

पकड़े गए गायों के रखरखाव पर होने वाले खर्च को "एक वर्ष की अवधि तक या गाय या गोजातीय को छोड़ने से पहले", जो भी पहले हो वाहन के मालिक से ही वसूल किया जाएगा। गायों को शारीरिक क्षति या उनके जीवन के लिए खतरा होने पर सजा के प्रावधान भी उसी प्रकार लागू होंगे।

संसोधन के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति गाय को भोजन और पानी नहीं देकर उसके जीवन को जानबूझकर खतरे में डालता है, तो उसे एक साल के सश्रम कारावास की सजा हो सकती है, जो पहले अपराध के लिए सात साल तक बढ़ सकती है। इसके अतिरिक्त, ₹ 1 लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है, जिसे ₹3 लाख तक बढ़ाया जा सकता है।

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