लोकतंत्र के सेफ्टी वाल्व की "सुप्रीम" परिभाषा क्या है......??

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आतंकवाद, नक्सलवाद, प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय, PM Modi, Narendra Modi, Rahul gandhi, Supreme Court, कश्मीर, कन्याकुमारी, अलगावाद, लोकतंत्र, सेफ्टी वाल्व, Loktantra, Safety Valve, why-dissent-is-safety-valve-of-terror-activists-and-bloody-naxalite-in-any-system,क्या किसी राष्ट्र की जनता द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री से असहमति के कारण उसकी हत्या की साजिश को किसी "सेफ़्टी-वाल्व" जैसे शब्द का सहारा देना कहाँ तक उचित है

सुप्रीम कोर्ट को ये स्पष्ट करना चाहिए की लोकतंत्र का सेफ्टी-वाल्व क्या हैं ?

साथ ही देश में ऐसे कौन से संघठन हैं जिनकी राष्ट्र विरोधी प्रवृत्तिओं को बैन कर देने पर लोकतंत्र का सेफ्टी-वाल्व फट जाने का भय सुप्रीम कोर्ट को है।

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक आतंकवाद, अलगावाद, नक्सलवाद, अवैध घूसपैठ, हिंसक जातिवादी आंदोलनों से लेकर भारत के प्रधानमंत्री को मारने की साजिश करने वाले गिरोह में भारत के लोकतंत्र का सेफ्टी-वाल्व कौन है........................??

राष्ट्रद्रोही तत्वों से सख़्ती से निपटने पर लोकतंत्र को कोई हानि नही हो सकती और अगर हानि के डर से ऐसे तत्वों को बचाया जायेगा तो फिर ऐसे तत्वों के आगे कानून का का महत्व ही क्या रह जायेगा...... फिर तो ऐसे तत्व बेखौफ़ होकर अपनी राष्ट्रविरोधी प्रवृत्तियों को अंजाम देते रहेंगे।

देश की समस्या ये है कि आजादी से आजतक देश में पल रहे सैंकड़ों राष्ट्रविरोधी संगठनों, संस्थाओ पर कभी किसी तरह का नियंत्रण लाने का एवं उनको जड़-मूल से मिटाने का प्रयास ही नही किया गया इसी लिये ये बेखौफ़ बनकर देश में पलते-बढ़ते रहे। आज अचानक ही उनपर लगाम लगाने की कोशिश होने पर वे बिल-बिला रहे हैं अपने अस्तित्व को बचाने के लिए छटपटा रहे हैं।

राष्ट्र विरोधी तत्व कितने भी सशक्त और सक्षम क्यों न हों उनको हर हाल में मिटाना या निष्क्रिय करना राष्ट्र की सभी जिम्मेदार संस्थाओं, पुलिस, सेना और क़ानून का फर्ज है। इसके लिये फिर किसी भी अंज़ाम तक जाना पड़े जाना ही चाहिए। लोकतंत्र के सेफ्टी वाल्व का बहाना बना कर इसे बचाने का अर्थ होगा स्वयं के साथ देश को डुबोना.....!!!

आज देश में पिछली सत्ताओं की इन्हीं कमजोर नीतियों के कारण हजारों देश विरोधी संघठनों, संस्थाओं का देश में अवैध जमावड़ा हो चुका है। और ये भारतीय समाज़ में इस तरह घुल मिल गये हैं कि इनको नियंत्रित करने पर भारत में बड़े फिस्फोट होने की संभावना खुद भारत के सर्वोच्च न्यायालय को बतानी पड़ रही है इतना ही नही इसे लोकतंत्र के सेफ्टी वाल्व की परिभाषा तक देनी पड़ रही है।

जय हिंद......जय माँ भारती ।

हार्दिक पंचाल (लेखक)

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