सड़क पर नमाज़ या मजहबी दादागिरी : बढ़ रहा हैं विरोध
सूरा आले-इमरान की आयत नंबर 28 दृष्टव्य है। "ईमान वालों को चाहिये कि वे ईमान वालों के विरुद्ध काफ़िरों को अपना संरक्षक-मित्र न बनायें। और जो ऐसा करेगा तो उसका अल्लाह से कोई भी नाता नहीं। परन्तु यह कि तुम उनसे बचो जैसा बचने का हक़ है। और अल्लाह तुम्हें स्वयं से डराता है। और अल्लाह ही की ओर लौटना है।" क़ुरआन 28/3

- गूरूग्राम में खाली पड़ी सरकारी जमीन पर पढ़ी जा रही थी नमाज़, वहाँ के गैर-मुस्लिम लोगों को था इस पर एतराज़
- अगर नमाज़ पधानी इतनी ही आवश्यक है तो मस्जिद में या फिर अपने - अपने घरों में क्यों नहीं पढ़ते ?
- अगर नमजा अल्लाह की इबादत है तो क्या अल्लाह ये कहता है कि "कहीं भी चालू हो जाओ बेशक दूसरों को परेशानी हो" ??
सूरा आले-इमरान की आयत नंबर 28 दृष्टव्य है। "ईमान वालों को चाहिये कि वे ईमान वालों के विरुद्ध काफ़िरों को अपना संरक्षक-मित्र न बनायें। और जो ऐसा करेगा तो उसका अल्लाह से कोई भी नाता नहीं। परन्तु यह कि तुम उनसे बचो जैसा बचने का हक़ है। और अल्लाह तुम्हें स्वयं से डराता है। और अल्लाह ही की ओर लौटना है।" क़ुरआन 28/3
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