किस्सा-ए-हिजरा: पार्ट-2
हिजरत कमेटियों के सामने मुश्किल पेश आई की इनके गुस्से को संभालें कैसे क्योंकि मुसलमान होकर मुसलमानों से धोखा खाए ये 'दीनी खिदमतगार' रट लगाए बैठे थे कि गांव जाकर सबसे पहले उस मुल्ले को जिबह करेंगे जिसने उसे हिजरा पर भेजा। हिजरत कमेटियों के नेताओं की हालत भी उतनी ही बुरी थी। चर्चा थी कि हिजरत कमेटी के नेता लरकाना के जाम मुहम्मद और और टहकल के अरबाब रजा खान किसी तरह से काबुल से भागने की फिराक में हैं। लेकिन मुहाजिरीनों के गुस्से से डरे मुल्लों ने फिर खेल किया।


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हिजरत कमेटियों के सामने मुश्किल पेश आई की इनके गुस्से को संभालें कैसे क्योंकि मुसलमान होकर मुसलमानों से धोखा खाए ये 'दीनी खिदमतगार' रट लगाए बैठे थे कि गांव जाकर सबसे पहले उस मुल्ले को जिबह करेंगे जिसने उसे हिजरा पर भेजा। हिजरत कमेटियों के नेताओं की हालत भी उतनी ही बुरी थी। चर्चा थी कि हिजरत कमेटी के नेता लरकाना के जाम मुहम्मद और और टहकल के अरबाब रजा खान किसी तरह से काबुल से भागने की फिराक में हैं। लेकिन मुहाजिरीनों के गुस्से से डरे मुल्लों ने फिर खेल किया।
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