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प्रयाग V/s अल्लाहबाद : फ़र्क तो पड़ता है साहब, नाम से ही तो सब-कुछ है
फ़र्क नहीं पड़ता तो प्रयाग को इलाहाबाद करने की ही ज़रूरत क्यों होती? शहरों-गाँवो के हिन्दू नाम बदल कर मुगलों ने दूसरे नाम क्यों रखे? इसलिए क्योंकि दूसरे के नाम वाली रजिस्ट्री वाले घर में रहा नहीं जा रहा था, लग रहा होगा मानों दूसरों का छीन कर रह रहे हैं।


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फ़र्क नहीं पड़ता तो प्रयाग को इलाहाबाद करने की ही ज़रूरत क्यों होती? शहरों-गाँवो के हिन्दू नाम बदल कर मुगलों ने दूसरे नाम क्यों रखे? इसलिए क्योंकि दूसरे के नाम वाली रजिस्ट्री वाले घर में रहा नहीं जा रहा था, लग रहा होगा मानों दूसरों का छीन कर रह रहे हैं।
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