गुरू गोविंद सिंह जी का खालसा "तब और अब"

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रक्त चंडी का आवाहन कर उन्होंने "खालसा" सजाया। "खालसा" का अर्थ है ख़ालिस अर्थात् विशुद्ध, निर्मल और बिना किसी मिलावट वाला निष्कलंक व्यक्ति।

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