गुरू गोविंद सिंह जी का खालसा "तब और अब"
तारीख़ तो ये है कि गुरूजी के शिष्यों की दोनों टोली खालसा थी, निर्मल थी मगर चूँकि अलगाववादी मानसिकता पंजाब में हावी रही तो आज गुरूजी द्वारा रोपे गये दो पौधों में से केवल एक के बारे में दुनिया जानती है और दूसरे को केवल पृथकता और विभेद दिखाने के लिये चर्चा से भी बाहर कर दिया गया। कुंभ में निर्मल अखाड़ों के तत्वाधान में सिख सैनिकों के द्वारा कुंभ स्नान की घटनाएं ज्यादा पुरानी नहीं है पर अब सब बदल गया है।


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तारीख़ तो ये है कि गुरूजी के शिष्यों की दोनों टोली खालसा थी, निर्मल थी मगर चूँकि अलगाववादी मानसिकता पंजाब में हावी रही तो आज गुरूजी द्वारा रोपे गये दो पौधों में से केवल एक के बारे में दुनिया जानती है और दूसरे को केवल पृथकता और विभेद दिखाने के लिये चर्चा से भी बाहर कर दिया गया। कुंभ में निर्मल अखाड़ों के तत्वाधान में सिख सैनिकों के द्वारा कुंभ स्नान की घटनाएं ज्यादा पुरानी नहीं है पर अब सब बदल गया है।
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