Abhijeet Singh

Abhijeet Singh

एक मुश्त-ए-ख़ाक और वो भी हवा की ज़द में है, ज़िंदगी की बेबसी का इस्तिआ'रा देखना


  • "काफिर" कौन है ?

    ये ऐसा प्रश्न है जो गैर-मुस्लिमों के लिए लगभग 1400 वर्षों से अनुतरित है।काफ़िर के अर्थ पर मौलाना लोग और अक्सर मुस्लिम विद्वान सफ़ेद झूठ बोलते हुए पहले तो इस बात से साफ़ इंकार कर देते हैं कि काफिर से मुराद हिन्दू, ईसाई या यहूदी है; फिर दूसरा झूठ ये बोलते हैं कि काफ़िर "नास्तिक" को कहतें हैं। ये लोग...

  • "हरी सिंह नलवा" एक बाहुबली का स्मरण

    1699 में जब पिता दशमेश ने 'खालसा' सजाई थी तो उसके साथ विजय हुंकार करते हुए कहा था "राज करेगा खालसा, आक़ी बचे न कोई"। पिता दशमेश के इस "जयघोष" के संकल्प को मूर्त रूप देने को प्रस्तुत हुए "बाबा बंदा सिंह बहादुर" और "हरिसिंह नलवा"। एक ने उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से जो 'देबबंद' से शुरू होकर 'कश्मीर' तक...

  • #SelfieWithBajrangBali "हनुमान जयंती" पर विशेष

    कुछ वर्ष पूर्व कर्नाटक के रहने वाले 'करण आचार्य' ने "क्रोधित हनुमान" की एक पेंटिंग बनाई थी, जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री 'श्री नरेन्द्र मोदी जी' ने भी की थी और उनके द्वारा प्रशंसा किये जाने के बाद अचानक यह पेंटिंग देश भर में सुर्खियों में आ गया था।OLA-UBER समेत निजी वाहन वाले हनुमान जी की इस तस्वीर को...

  • किताबों में नहीं हर देशभक्त के दिल में बसते हैं सावरकर

    स्वातंत्र्यवीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। 'नाम में क्या रखा है' वाली वाहियात फिलॉसपी और किसी के साथ भले चस्पां हो जाती हो पर ऐसा सावरकर के नाम के साथ कतई नहीं है। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि वो सचमुच "विनायक" थे। हिन्दू ग्रंथों ने कहा है कि हर शुभ काम विनायक गणेश के नाम के साथ शुरू...

  • भारत में मुआहिद यानि धिम्मियों का दूषित DNA

    आपने अक्सर ऐसे लेख या पोस्ट पढ़े होंगें या ऐसे भाषण सुने होंगे जिसमें कुछ हिंदू ये कहते मिलते हैं, "बंटवारे में हिंदुस्तान को चुन कर हम हिंदुओं पर भरोसा करनेवालों को अगर इस मुल्क में आज खतरा महसूस होता है तो समाज के तौर पर ये हमारी सामूहिक विफलता है"। ऐसा सोचने वाले धिम्मियों की एक और श्रेणी में...

  • "धिम्मियों" का नया चेहरा सिद्धू

    शेख अहमद दीदात ने "क्राइस्ट इन इस्लाम" नाम से एक बड़ा मशहूर लेक्चर दिया था जिसने पश्चिमी ईसाई जगत और अफ्रीका में ईसाईयों के बीच दावत की राह आसान कर दी थी। दीदात का वो मशहूर लेक्चर मेरे पास भी है। सवा घंटे के उस लेक्चर और उसके बाद पैंतालीस मिनट तक चले सवाल-जबाब सत्र में दीदात ने सामने बैठे ईसाई...

  • 15 अगस्त: स्वतन्त्रता की खुशी या बँटवारे का दर्द?

    15 अगस्त 1947 भारत की आजादी का दिन था. हमें आजादी मिली, उस खुशी को आज भी हम हर साल आजादी के दिन के रूप में मनातें हैं पर इस खुशी को मनाते हुये हममें से कितने लोग हैं जिनके मन में कोई वेदना होती है, कोई पीड़ा होती है? किसी का भी स्वाभाविक प्रश्न होगा कि आजादी के दिन कोई वेदना या कोई पीड़ा क्यों हो? ...

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