सर्जिकल स्ट्राइक: सेना का शौर्य बनाम राजनीतिक आखाड़ा
उन्हें जंग का सुबूत चाहिए। जंग से लौटते ताबूत उन्हें दिखते नहीं या फिर वह अनदेखा करते हैं या फिर वह चाहते हैं सैनिकों की असमय मौत ताकि वह उठाए रख सकें अपना तमाशा। ये हमारे देश के नेता हैं जिनके हाथों देश की कमान सौंप देते हैं हम कि वे हमारे भविष्य का निर्धारण करें। इन नेताओं को हमारे सैनिकों के शौर्य, पराक्रम पर भरोसा नहीं और सैनिकों की हिम्मत का सुबूत चाहते हैं ये। यह तो होना ही है क्योंकि इन नेताओं को देश पर ही भरोसा नहीं है और यह भी नहीं मानते कि यह “एक देश” है। जब देश ही नहीं तो देशवासियों और उसके सैनिकों पर क्योंकर भरोसा होगा इन्हें। मसला इनके भरोसे को जीतने का बिल्कुल भी नहीं है, बात जो गंभीर है वह ये कि इनके भरोसे के लिए हम देश की सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं कर सकते।


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उन्हें जंग का सुबूत चाहिए। जंग से लौटते ताबूत उन्हें दिखते नहीं या फिर वह अनदेखा करते हैं या फिर वह चाहते हैं सैनिकों की असमय मौत ताकि वह उठाए रख सकें अपना तमाशा। ये हमारे देश के नेता हैं जिनके हाथों देश की कमान सौंप देते हैं हम कि वे हमारे भविष्य का निर्धारण करें। इन नेताओं को हमारे सैनिकों के शौर्य, पराक्रम पर भरोसा नहीं और सैनिकों की हिम्मत का सुबूत चाहते हैं ये। यह तो होना ही है क्योंकि इन नेताओं को देश पर ही भरोसा नहीं है और यह भी नहीं मानते कि यह “एक देश” है। जब देश ही नहीं तो देशवासियों और उसके सैनिकों पर क्योंकर भरोसा होगा इन्हें। मसला इनके भरोसे को जीतने का बिल्कुल भी नहीं है, बात जो गंभीर है वह ये कि इनके भरोसे के लिए हम देश की सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
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