सर्जिकल स्ट्राइक: सेना का शौर्य बनाम राजनीतिक आखाड़ा

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जिन्हें सरहदों से आते ताबूत नहीं दिखते, उन्हें वीडियो भी नहीं दिखेगा।

सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो पब्लिक डोमेन में डाला गया है, देश-भर में देखा गया, विदेशों में भी।

सेना से यह वीडियो माँगा गया होगा या फ़िर मज़बूर होकर सेना ने ही दे दिया होगा। सेना करे भी तो क्या, वह एक ऐसे मज़बूर देश की सेना है, जिसके नेताओं को ही अपने सैनिकों के मौत का सुबूत चाहिए।

उन्हें जंग का सुबूत चाहिए। जंग से लौटते ताबूत उन्हें दिखते नहीं या फिर वह अनदेखा करते हैं या फिर वह चाहते हैं सैनिकों की असमय मौत ताकि वह उठाए रख सकें अपना तमाशा। ये हमारे देश के नेता हैं जिनके हाथों देश की कमान सौंप देते हैं हम कि वे हमारे भविष्य का निर्धारण करें।


इन नेताओं को हमारे सैनिकों के शौर्य, पराक्रम पर भरोसा नहीं और सैनिकों की हिम्मत का सुबूत चाहते हैं ये। यह तो होना ही है क्योंकि इन नेताओं को देश पर ही भरोसा नहीं है और यह भी नहीं मानते कि यह "एक देश" है। जब देश ही नहीं तो देशवासियों और उसके सैनिकों पर क्योंकर भरोसा होगा इन्हें।


मसला इनके भरोसे को जीतने का बिल्कुल भी नहीं है, बात जो गंभीर है वह ये कि इनके भरोसे के लिए हम देश की सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

इनके "कह देने" के डर से सर्जिकल स्ट्राइक और भविष्य में होने वाली अन्य स्ट्राइकस का वीडियो दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। इस तरह के वीडियो से दुश्मन को रूट का पता चल सकता है, तकनीक और हथियारों का पता चल सकता है, जो आंतरिक सुरक्षा के मद्देनजर गंभीर मसला है।

केवल राजनीति करने के लिए सेना पर जताया गया अविश्वास सेना का मनोबल तोड़ने का हथियार बना लिया गया है धूर्त नेताओं द्वारा। ऐसे वक्तव्यों ने सेना के जवानों को क्षोभ और गुस्से से भर दिया होगा, जो अपनी जान हर रोज़ जोखिम में डालते हैं।

सेना को ऐसे कृतघ्न नेताओं के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। ये ऐसे लोग हैं जिन्हें सत्य, ईश्वर, सम्मान, मान, स्वतंत्रता, देश-इन शब्दों में निहित गहन भावों में कोई रूचि नहीं, क्योंकि इनके लिए ये चीजें "श्रेष्ठ" नहीं हैं।

अब जबकि वीडियो देख लिया गया है तो फर्जीकल वाले फ़र्ज़ीयों को सेना से माफ़ी माँग लेनी चाहिए और उन्हें धन्यवाद करना चाहिए कि सेना उन्हें अभी भी सुरक्षा दे रही है।

वैसे भी हमारे देश के जवान एक ऐसे देश की सेवा कर रहे हैं, जहाँ के लोग राष्ट्र गान को लेकर कोर्ट चले जाते हैं।

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