
अजेष्ठ त्रिपाठी
""मैं शून्य हूँ"" पानी की बूँद जैसे, मैं एक शून्य हूँ वैसे, आदि न अंत होता है, शून्य वही कहलाता है, मुझसे जो मिल जाता है, दस गुना स्वयं हो जाता है दुश्मन जो मुझसे टकराता है शून्य स्वयं ही वह हो जाता है, प्रकृति के चेतन में जो डूब जाता हैं, अवचेतन में शून्य सा निखर जाता है वेद से अवतरित ऋचाओं का यह मान है, सूर्य चंद्र के परिक्रमण ये शून्य समान है, भ्रष्टो की दुनिया में जो चला जाता हैं, ईमान उसका शून्य ही हो जाता है, आतंक जो दुनिया में फैलाता है, संवेदनाए शून्य कर ही लाता हैं, अंतरिक्ष में विचरण करता है, अवनी को शून्य सा पाता है, दुनिया जो दिखलाती है, आँखे शून्य सी लगती है, पानी की बूँद हूँ जैसे, मैं एक शून्य हूँ वेसे, ""मैं शून्य हूँ""
NOTA : विषहीन सर्प / खाली कारतूस
नोटा -(NOTA) - NONE OF THE AVOBE आजकल एक शब्द आप सबके सामने बार-बार आ रहा होगा ये शब्द है "नोटा", दरसअल बात सब इस पर कर रहे हैं लेकिन अपने-अपने लिहाज से, मुझसे कई दिनों से इस पर लिखने के लिए कई मित्रों ने इनबॉक्स किया और मेरी नोटा के संदर्भ में राय जानने की कोशिश की, मुझसे यदि नोटा को एक लाइन...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 3 Sep 2018 11:37 AM GMTRead More
श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष
प्रभू श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी व श्रीवसुदेव के पुत्र रूप में हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण विष्णुजी के आठवें अवतार माने जाते हैं। यह श्रीविष्णु का सोलह कलाओं से पूर्ण भव्यतम अवतार है। कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 2 Sep 2018 9:46 AM GMTRead More
श्रीमद्भागवत गीता का समयकाल
श्रीमद्भागवत गीता भारतीय चिंतन के सार-तत्व को समझने का सबसे अच्छा स्रोत है। 2 पंक्तियों के कुल 700 श्लोकों की इस छोटी-सी पुस्तिका ने भारतीय मानस को सबसे अधिक प्रभावित किया है और इसे सदा ही सर्वमान्य आध्यात्मिक शास्त्र का स्थान दिया गया है। भारत के सभी प्रमुख चिंतकों ने गीता के संदेश को किसी न किसी...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 3 Jun 2018 12:45 PM GMTRead More
धरिणीम् भरणीम् मातरम् : (2) केले की खेती
अगर कोई कहे कि किसान सालाना करोड़ रुपए कमा सकते हैं, तो सुनने वाला उसे पागल समझ सकता है। मगर महाराष्ट्र का जलगांव भारत में केलों की राजधानी है और यहां के कई किसान करोड़पति हैं। यहाँ 62 साल के टेनू डोंगार बोरोले और 64 साल के लक्ष्मण ओंकार चौधरी ऐसे ही किसान हैं।टेनू डोंगार बोरोले...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 4 Jan 2018 11:45 AM GMTRead More
खण्डन – भूमिहार कौन (Who are Bhumihar) ?
मानव जीवन मे मूलभूत आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा जो एक चीज़ सभी को चाहिए होती है वो है "प्रसिद्धि"… इसको प्राप्त करने के 2 तरीके हैं एक है अच्छे मार्ग से और एक है शार्टकट यानी बुरा रास्ता, आजकल प्रसिद्धि के लिए लोग बेहतर नही बल्कि शॉर्टकट का इस्तेमाल करने में ज्यादा विश्वास रख रहे हैं...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 30 Dec 2017 3:00 PM GMTRead More
खण्डन - मनुस्मृति दलित विरोधी
मनुस्मृति दहन अभी हाल ही में किया गया, मनुस्मृति के दहन का जो आधार था वो ये था कि मनुस्मृति ने जातिवादिता को जन्म दिया या यूं कह ले कि मनुस्मृति ही दलितों पर किये जुल्म ज्यादतियों के लिए जिम्मेदार है लेकिन क्या वाकई मनुस्मृति जिम्मेदार है या जिम्मेदार है अम्बेडकर का लिखित संविधान जिसने लोगों को...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 30 Dec 2017 2:29 PM GMTRead More
धरिणीम् भरणीम् मातरम् : (1) गन्ने की खेती
कुछ सज्जनों ने ये कहा कि खेती में करोड़ों की कमाई होती नहीं है बल्कि कृषि लाभ टैक्स फ्री है तो टैक्स चोरी करने के लिए इनकम को कृषि इनकम बता दिया जाता है, ऐसे सज्जनों से विशेष अनुरोध है कि हर तकनीक बताने के बाद उसे इस्तेमाल करके करोड़ों कमा रहे उन किसानों का पता भी दूँगा जो इसे उपयोग में ले रहे हैं आप...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 29 Dec 2017 10:45 AM GMTRead More
मुखौटा --
दुनिया में आपको रोज कई किरदार मिलते होंगे जो बड़ी शिद्दत से अपना किरदार निभाए जा रहे है। हर किसी ने अपने चेहरे पे एक मुखौटा लगा रखा है हर कोई खुस दिखाने और अपना दुःख छुपाने की नाकाम कोसिस कर रहा है इस वर्चुअल वर्ल्ड में लोग अपनापन ढूंढ रहे है यहाँ सिर्फ भावनाओ से खेला जाता है। यहाँ कोई पराया अपनापन...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 27 Dec 2017 6:45 AM GMTRead More
खण्डन – संस्कृत से पुरानी प्राकृत भाषा
आप लोगो को हमेशा सुनने को मिलता होगा कि संस्कृत भाषा से भी पुरानी भाषा प्राकृत भाषा है इसके पीछे एक तर्क दिया जाता है --चारों वेद की कोई 22443 ऋचाओं में से एक भी शब्द ऐसा नहीं है जो ट, ठ, ड, ढ से आरंभ होता है, जबकि प्राकृत भाषाओं में ट, ठ, ड, ढ से आरंभ होनेवाले शब्दों की संख्यार सैकड़ों है।यदि वैदिक...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 20 Dec 2017 4:59 PM GMTRead More
भारतीय मानसिकता
मेरी ये पोस्ट उन पढ़े लिखे मानसिक विकलांगो को समर्पित है जो आज भी सोचते है कि, भारत एक पिछड़ा हुआ देश था, है और हम ऐसे ही वैदिक वैदिक की रट लगाते रहे तो आगे भी रहेगा। पिछले दिनों एक मित्र से कुछ किताबे पढ़ने को मिली इस मामले में मैं थोड़ा लालची हूँ और आप कह सकते है कि मैं और किताबे बिल्कुल...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 13 Dec 2017 1:03 PM GMTRead More