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लेख - Page 11

  • खण्डन - मनुस्मृति दलित विरोधी

    मनुस्मृति दहन अभी हाल ही में किया गया, मनुस्मृति के दहन का जो आधार था वो ये था कि मनुस्मृति ने जातिवादिता को जन्म दिया या यूं कह ले कि मनुस्मृति ही दलितों पर किये जुल्म ज्यादतियों के लिए जिम्मेदार है लेकिन क्या वाकई मनुस्मृति जिम्मेदार है या जिम्मेदार है अम्बेडकर का लिखित संविधान जिसने लोगों को...

  • कालिदास त्रयी

    कालिदास त्रयी-३ मुख्य कालिदास थे तथा अन्य ३ का उपनाम कालिदास था।तीन कालिदासों का उल्लेख राजशेखर की काव्य मीमांसा में किया है, जल्हण की सूक्ति मुक्तावली तथा हरि कवि की सुभाषितावली मे भी- एकोऽपि जीयते हन्त कालिदासो न केनचित्। शृङ्गारे ललितोद्गारे कालिदास त्रयी किमु॥ = एक ही कालिदास की बराबरी का कोई...

  • 1 जनवरी विशेष

    ★ कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही, अपनी संस्कृति की झलक को अवश्य पढ़ें और साझा करें। ◆ 1 जनवरी को क्या नया हो रहा है?● न ऋतु बदली - न मौसम● न कक्षा बदला - न सत्र,● न फसल बदली - न खेती● न पेड़ पौधों की रंगत,● न सूर्य चाँद सितारों की दिशा, ● ना ही नक्षत्र।।मित्रो,. 1 जनवरी आने से पहले...

  • धरिणीम् भरणीम् मातरम् : (1) गन्ने की खेती

    कुछ सज्जनों ने ये कहा कि खेती में करोड़ों की कमाई होती नहीं है बल्कि कृषि लाभ टैक्स फ्री है तो टैक्स चोरी करने के लिए इनकम को कृषि इनकम बता दिया जाता है, ऐसे सज्जनों से विशेष अनुरोध है कि हर तकनीक बताने के बाद उसे इस्तेमाल करके करोड़ों कमा रहे उन किसानों का पता भी दूँगा जो इसे उपयोग में ले रहे हैं आप...

  • माफ़ी प्रायश्चित का मौका देती है पर दुःख है कि आपके पाप बहुत हैं....

    2007 में राजस्थान के जयपुर में 'धर्म संस्कृति संगम' नामक संगठन ने दुनिया भर के उन लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित किया था जो थे तो ईसाई या मुस्लिम पर उनके मन में ये प्रश्न था कि ठीक है आज हम ईसाई या मुसलमान हैं पर ईसा और मुहम्मद साहब से पहले हम क्या थे? हमारी संस्कृति और परम्परायें क्या थीं और किन...

  • मुखौटा --

    दुनिया में आपको रोज कई किरदार मिलते होंगे जो बड़ी शिद्दत से अपना किरदार निभाए जा रहे है। हर किसी ने अपने चेहरे पे एक मुखौटा लगा रखा है हर कोई खुस दिखाने और अपना दुःख छुपाने की नाकाम कोसिस कर रहा है इस वर्चुअल वर्ल्ड में लोग अपनापन ढूंढ रहे है यहाँ सिर्फ भावनाओ से खेला जाता है। यहाँ कोई पराया अपनापन...

  • बड़ा दिन और ईसा मसीह

    ज्योतिष में दिन-मास-वर्ष में कोई सरल अनुपात नहीं है और यह बदलता रहता है। अतः समय के शुद्ध निर्धारण के लिये भारतीय पञ्चाङ्ग में कई प्रकार से इनकी गणना की जाती है। जब सभी सही मिल जायें तो ठीक समय होगा। दिन का निर्धारण ५ प्रकार से होता है, अतः इसे पञ्चाङ्ग कहते हैं। मास भी २ प्रकार के हैं। गणना का आधार...

  • भारतभक्ति का दूसरा नमूना

    भारतभक्ति के लिए जिस दूसरे प्राच्यवादी को याद किया जाता रहा है वह हैं मैक्स मुलर। उन्होंने यदि ऋग्वेद और अन्य पवित्र ग्रन्थों का ब्राह्मणों के चंगुल से उद्धार न किया होता तो मै ऋग्वेद पर बात करना तो दूर, उसकी प्रति तक का दर्शन नहीं कर सकता था। मैं इसके लिए उनका ऋणी हूं। हमारे पुरातन ज्ञान को...

  • खण्डन – संस्कृत से पुरानी प्राकृत भाषा

    आप लोगो को हमेशा सुनने को मिलता होगा कि संस्कृत भाषा से भी पुरानी भाषा प्राकृत भाषा है इसके पीछे एक तर्क दिया जाता है --चारों वेद की कोई 22443 ऋचाओं में से एक भी शब्द ऐसा नहीं है जो ट, ठ, ड, ढ से आरंभ होता है, जबकि प्राकृत भाषाओं में ट, ठ, ड, ढ से आरंभ होनेवाले शब्दों की संख्यार सैकड़ों है।यदि वैदिक...

  • "तुम्हारी पालिटिक्स हम भी समझते हैं कामरेड"

    शिव भक्त, जनेऊधारी और परशुराम के वंशज परम पंडित राहुल गांधी की मंदिर -मंदिर यात्राओं के बावजूद कृपा नहीं बरसी। उनके भक्तों को भी अंदेशा हो चुका था और अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी डाल दी थी कि ईवीएम के वोटों का पेपर ट्रेल यानी वीवीपैट पर्ची के 25 प्रतिशत का मिलान किया जाए। याचिका...

  • मनोरंजन के लिए ही सही

    • हम वर्ण व्यवस्था को नहीं समझते से तुम्हारा क्या मतलब था? क्या सोलह वेदों की तरह सोलह वर्ण भी बनाने का इरादा है?"  नहीं समझते ही नही समझना तक नहीं चाहते क्योंकि राजनीत के लिए नासमझी अधिक जरूरी है। समझ बाधक है। समझ से जोश ठंडा पड़ जाता है। समस्या के समाधान के लिए समझ की ज़रूरत होती है।...

  • संस्कृत भाषियों का देश और जोंस की महिमा

    विलियम जोंस को शोध नहीं करना था। उनके सामने सब कुछ तय था। न होता तो उन भाषाओं को जिनके विषय में उन्हें कुछ पता न था, एक ही आदि भाषा से व्युत्पन्न न मान लेते। उदाहरण के लिए चीनी और अरबी। यदि हम उनके सभी व्याख्यानों को ध्यान से पढ़ें तो पाएंगे कि उनको यूरोप मे अपने पदों पर काम करते हुए...

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