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लंगड़ा: आमों का रस-राज
दुनिया फ़ानी है, दुनिया की लज़्ज़तें फ़ानी हैं, आज हैं कल नहीं। इस बयान का सबसे बड़ा इश्तेहार लंगड़ा आम है। "पानी केरा बुदबुदा, अस लंगड़े की जात।" कि ये चला-चली की बेला का फल है. आया नहीं कि गया. देरी से आता है, जल्दी जाता है! साहब, लंगड़े का यही हिसाब है। कि आज वह कच्ची कैरी है, कल पका फल बन जाएगा,...
Sushobhit Singh Saktawat | 17 Jun 2018 10:43 PM ISTRead More
इन्हें सेकुयलरिज़्म के दलाल कहें या हिज़ाब के ग़ुलाम?
शाब्बाश, सौम्या! 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत में गणतंत्र दिवस की परेड अटेंड करने आए थे। परेड के बाद एक स्पीच में उन्होंने भारत को बहुसंस्कृतिवाद का पाठ सिखाने की कोशिश की और सहिष्णुता पर लेक्चर दिया।तभी रियाद से ख़बर आई कि शाह अब्दुल्लाह मर गया है। महत्वपूर्ण स्ट्रैटेजिक...
Sushobhit Singh Saktawat | 14 Jun 2018 3:36 PM ISTRead More
मोदी हत्या की साजिश: सत्ता लोलुपों का छद्म सेकुलरवाद बेनकाब
प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िशें न रचिए, शहीद मोदी की जन-स्मृतियाँ और ज़्यादा तीक्ष्ण, जीवन्त और शाश्वत होंगी।विश्व भर की सभ्यताओं में "राजनैतिक हत्याएँ" होती रही हैं। सत्ता की महत्वकांक्षा जघन्य अपराध और साज़िशें करवाती आई है जिससे कोई भी साम्राज्य या लोकतंत्र अछूता नहीं रहा है। स्वतंत्रता के तुरंत...
Pallavi Mishra | 10 Jun 2018 4:53 PM ISTRead More
प्रयाग V/s अल्लाहबाद : फ़र्क तो पड़ता है साहब, नाम से ही तो सब-कुछ है
फ़र्क तो पड़ता है साहब, नाम से ही तो सब-कुछ है! फ़र्क नहीं पड़ता तो बुरा क्यों लग गया। प्रयाग हो या अल्लाहबाद, नाम ही तो है।शायद इसलिए कि अल्लाह को कृष्ण और कृष्ण को अल्लाह नहीं कहा जा सकता। कबीर भी नहीं कह सके, और उन्हें भी पंडित और मुल्ला कहना पड़ गया। ईश्वर एक है भी, तो नाम तो अलग हैं और नाम ही...
Pallavi Mishra | 9 Jun 2018 11:06 AM ISTRead More
इस्लाम और आतंकवाद : पहले मुर्ग़ी आई या अंडा ?
यह संसार का सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है। आइये, इस प्रश्न का उत्तर तलाशने की कोशिश करते हैं। श्रीनगर में CRPF की गाड़ी से कुचलकर एक रोज़ेदार आतंकवादी मारा गया ! पहले मुर्ग़ी आई या अंडा ? पहला प्रश्न - CRPF की गाड़ी चलकर आतंकवादी के पास गई थी या आतंकवादी चलकर CRPF की गाड़ी के पास आया था ? जवाब है...
Sushobhit Singh Saktawat | 3 Jun 2018 8:53 PM ISTRead More
श्रीमद्भागवत गीता का समयकाल
श्रीमद्भागवत गीता भारतीय चिंतन के सार-तत्व को समझने का सबसे अच्छा स्रोत है। 2 पंक्तियों के कुल 700 श्लोकों की इस छोटी-सी पुस्तिका ने भारतीय मानस को सबसे अधिक प्रभावित किया है और इसे सदा ही सर्वमान्य आध्यात्मिक शास्त्र का स्थान दिया गया है। भारत के सभी प्रमुख चिंतकों ने गीता के संदेश को किसी न किसी...
अजेष्ठ त्रिपाठी | 3 Jun 2018 6:15 PM ISTRead More
बंगाल की कलंक-कथा
बंगाल में पिछले दिनों जो हुआ, उस पर किसको अचरज है? केवल उन्हीं को, जो इतिहास से अनजान हैं। क्योंकि तथ्यक तो यही है कि बंगाल अगर जल रहा है तो कौन-सी नई बात है? बंगाल से ही तो इस पूरे फ़साद की शुरुआत हुई थी! बंगाल ही तो मुस्लिम लीग का गढ़ था ! बंगाल से ही तो बंटवारे की विषबेल पनपी थी! सांस्कृीतिक...
Sushobhit Singh Saktawat | 29 May 2018 3:27 PM ISTRead More
शिया मुस्लिम और भारत
एक दिन पहले (26/05/18) जब मैंने इस आशय की एक, किंचित विवादास्पद और प्रोवोकेटिव, पोस्ट लिखी कि वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार को 2019 के लोकसभा चुनाव में यह निश्चय कर लेना चाहिए कि उसे "आतंकवाद" के वोट नहीं चाहिए और उसे ध्रुवीकरण पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए, तो उस पर अनेक भली-बुरी प्रतिक्रियाएं आईं।...
Sushobhit Singh Saktawat | 27 May 2018 10:45 PM ISTRead More
मोदी जी : "कांग्रेस वाली तुष्टीकरण" की राह छोड़नी होगी
अगर माननीय प्रधानमंत्री महोदय वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में विजयश्री का वरण करना चाहते हैं तो अख़बारों में तरक़्क़ी के इश्तेहार निकालने के बजाय उन्हें एक संकल्प लेना होगा। प्रधानमंत्री को संकल्प लेना होगा कि मुझे "आतंकवाद" के वोट नहीं चाहिए, इसलिए मुझे येन केन प्रकारेण "आतंकवाद" को प्रसन्न करने...
Sushobhit Singh Saktawat | 26 May 2018 9:45 PM ISTRead More
2019 शंखनाद : वो गठबंधित हो रहे हैं "पक्ष आपको भी चुनना ही पड़ेगा"
कई महीनों से मन में बड़ी उथल-पुथल मची हुई है। सोशल मीडिया पर ख़ासी सक्रियता रखने वाले हम राष्ट्रवादी लोग अपनी समझ से जिसे राष्ट्र हित समझते हैं, के लिये काम करते हैं। यह पिछले 5-7 वर्ष की सक्रियता का परिणाम है। हम में से कई विद्वानों की लेखनी बहुत चोखी-तीखी और तेजस्वी है। परिणामतः उनकी पोस्ट सैकड़ों,...
Tufail Chaturvedi | 23 May 2018 10:55 PM ISTRead More
"श्रीमद्भगवद्गीता" की प्रामाणिकता तर्कानुतर्क अकाट्य है
"श्रीमद्भगवद्गीता एक साहित्यिक चोरी है!" — प्रेमकुमार मणि ! आज (17/05/18) दोपहर श्रीयुत गोविंद पुरोहित जी से फोन पर वार्ता हुयी। उन्होंने इस पंक्ति के साथ बताया कि महोदय "प्रेम" ने ग्यारह सौ शब्द की विवेचना लिखी है। उनकी विवेचना कहती है : "गीता एक साहित्यिक चोरी है, इसका मूल ग्रंथ बौद्ध कवि...
Yogi Anurag | 21 May 2018 9:37 PM ISTRead More
2019 - लोकतन्त्र में "वोटतंत्र के तुष्टीकरण" की राजनीति ही जीतेगी ?
कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अनेक मित्रों ने मुझसे निजी और सार्वजनिक रूप से अनुरोध किया कि मैं इस पर कुछ कहूं। अनेक वांछनीय-अवांछनीय कारणों से मैंने राजनीति पर बात करना अब बंद कर दिया है, फिर भी इस परिघटना पर अनेक दृष्टिकोण से विचार किया जा सकता है। मैं बहुत ही संक्षेप में अपनी बात रखने का...
Sushobhit Singh Saktawat | 21 May 2018 5:01 PM ISTRead More